कैराना शामली

44 मकानों को क्षति पर मिली आर्थिक मदद

कैराना। बरसात व यमुना की बाढ़ के कारण 44 मकानों को आंशिक नुकसान होने पर गृहस्वामियों को प्रशासन से आर्थिक सहायता मिली है।
पिछले दिनों से रूक—रूक कर बारिश का सिलसिला चल रहा है। कभी चटक धूप खिल जाती है, तो कभी झमाझम बदरा बरसते हैं। बरसात और यमुना की बाढ़ के पानी के कारण तहसील क्षेत्र में मकानों को हुए नुकसान का प्रशासन द्वारा सर्वे कराया गया। राजस्व विभाग के कर्मचारियों ने मौके पर जाकर जांच की और रिपोर्ट प्रशासन को उपलब्ध कराई। तहसीलदार गौरव सांगवान ने बताया कि 73 मकानों को नुकसान की रिपोर्ट प्राप्त हुई थी, लेकिन जांच में 44 मकानों को ही आंशिक रूप से नुकसान पाया गया, जिस पर सभी गृहस्वामियों को चार—चार हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी गई है। यह राशि ई—कुबेर ऐप के माध्यम से सीधे उनके खातों में भेज दी गई है।

खतरे के निशान को छूकर घटा जलस्तर
— यमुना नदी ने दी राहत, मगर अभी पानी से लबालब हैं किसानों के खेत
कैराना। उफान पर चल रही यमुना नदी ने कुछ राहत दी है। यमुना का जलस्तर सोमवार को खतरे के निशान को छूकर घट गया। जलस्तर में एक मीटर से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि, किसानों के खेत अभी पानी से लबालब भरे खड़े हैं। ऐसे में किसानों की चिंता कम नहीं हुई है।
दो दिन पहले पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों में वर्षा के चलते हथिनीकुंड बैराज से यमुना नदी में अधिकतम 251987 क्यूसेक पानी प्रवाहित किया गया था। इसके बाद क्षेत्र से गुजरने वाली यमुना नदी का जलस्तर निरंतर बढ़ता जा रहा था। सोमवार को जलस्तर चेतावनी बिंदु 231 मीटर से 13 सेंटीमीटर ऊपर पहुंच गया था। यहां से खतरे का निशान 231.50 मीटर से महज 37 सेंटीमीटर दूर रह गया था। यमुना का जलस्तर बढ़ने के कारण किनारे पर स्थित मंदिर, गौशाला तथा हजारों बीघा किसानों की फसलें जलमग्न हो गई थी। उधर, हथिनीकुंड बैराज से छोड़े जा रहे पानी की मात्रा घा फसलें लाखों क्यूसेक से घटकर सोमवार शाम चार बजे 45567 क्यूसेक रह गई थी। रात्रि करीब 12 बजे जलस्तर ने खतरे के निशान पर उछालें मार दी। हालांकि, सोमवार सुबह तक जलस्तर में गिरावट आनी शुरू हो गई। ड्रेनेज विभाग के जेई आशु कुमार ने बताया कि सोमवार को सुबह आठ बजे 37969 क्यूसेक व शाम चार बजे 38851 क्यूसेक पानी यमुना में प्रवाहित किया गया। शाम चार बजे यमुना ब्रिज पर बहाव 230.10 मीटर पर रिकॉर्ड किया गया। इससे अभी जलस्तर में और गिरावट आने की संभावना हैं। दूसरी ओर, किसानों के खेत अभी पानी से लबालब भरे खड़े हैं। ऐसे में किसानों की चिंता कम नहीं हुई हैं।
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फसलों के नुकसान का सर्वे फिर लटका
हथिनीकुंड बैराज से 11 जुलाई को 3.20 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद हजारों बीघा फसलें बर्बाद हो गई थी। धीरे—धीरे यमुना नदी सामान्य हो रही थी, तो प्रशासन की ओर से फसलों के नुकसान के आंकलन हेतु सर्वे शुरू कराया गया था। एक दिन पूर्व फिर से फसलों में यमुना का पानी भरने के कारण सर्वे का कार्य अधर में ही लटक गया है। तहसीलदार गौरव सांगवान ने बताया कि फसलों में पानी कम होगा, तो लेखपाल सर्वे कर सकेंगे। तब जाकर रिपोर्ट तैयार होगी।

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