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यूपी में कोविड-19 कहर बरपा रहा. कुछ शहरों में बेहद खराब होती हालत को देखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को लखनऊ, इलाहबाद, वाराणसी, कानपुर और गोरखपुर में एक हफ्ते का लॉकडाउन लगाने का आदेश दिया है. वहीं योगी सरकार ने पूर्ण लॉकडाउन करने से इंकार कर दिया है.

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आदेश दिया है कि जिला मजिस्ट्रेट और सीएमओ कोविड अस्पतालों में कोरोना की दवा, ऑक्सीजन की सुविधा को पर्याप्त रूप से उपलब्ध कराए.

कोर्ट ने अपने आदेश में यूपी सरकार को इन पांच शहरों में सभी प्रतिष्ठानों को बंद रखने का आदेश दिया है.

हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि अदालतों द्वारा 26 अप्रैल से केवल बहुत अर्जेंट मामलों को लेने और सख्त वर्चुअल मोड पर सुनवाई करने को कहा है.

वहीं लखनऊ जिल प्रशासन ने 96 प्राइवेट अस्पतालों को कोविड-19 मरीजों के इलाज के लिए अधिकृत किया है. अब तक लखनऊ में कुल 113 अस्पताल कोविड-19 मरीजों के उपचार के लिए अधिकृत किए जा चुके हैं.

दूसरी तरफ मुख्यमंत्री ऑफिस की ओर से कहा गया है कि राज्य में पूरी तरह लॉकडाउन की जरूरत नहीं है. सप्ताहांत (वीकेंड) लॉकडाउन कोविड के प्रसार के लिए लगातार लागू किए जाएंगे.

कोरोनावायरस से सबसे अधिक प्रभावित जिलों में पूर्ण लॉकडाउन के पक्ष में उच्च न्यायालय

वहीं इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश सरकार को उन जिलों में कम से कम दो से तीन सप्ताह के लिए पूर्ण लॉकडाउन लगाने और लोगों की भीड़ 50 तक सीमित करने की संभावना तलाशने का निर्देश दिया था जहां कोरोनावायरस का संक्रमण खतरनाक ढंग से बढ़ रहा है.

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अजित कुमार की पीठ ने उत्तर प्रदेश में कोरोनावायरस के मरीजों के इलाज और पृथक-वास केंद्रों की स्थिति को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया था.

अदालत ने केंद्र और राज्य सरकार को दवा कंपनियों को कच्चा माल उपलब्ध कराके रेमडेसिवर दवा का पर्याप्त उत्पादन सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया जिससे इस दवा की खुले बाजार में आपूर्ति सुनिश्चित हो सके. अदालत ने इस दवा की जमाखोरी और कालाबाजारी करने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने को भी कहा.

पीठ ने कहा था कोरोनावायरस संक्रमण के तेजी से बढ़ने से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है और चिकित्सा प्रणाली पूर्ण संतृप्ति की स्थिति में पहुंच गई है. हमें बताया गया है कि कोविड-19 अस्पताल मरीजों से भरे पड़े हैं और अस्पतालों में कर्मचारियों और सुविधाओं की कमी है. स्थिति इतनी भयावह है कि यदि इससे सावधानीपूर्वक नहीं निपटा गया तो सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली पूरी तरह से बैठने की स्थिति में पहुंच सकती है.

पीठ ने निर्देश दिया था कि जहां हमारा जोर उन मरीजों की मांग पूरी करने के लिए बाइपैप मशीनों और हाई फ्लो कैनुला मास्क की आपात खरीद किए जाने पर है जो कोविड अस्पतालों केंद्रों के गलियारों में पड़े हैं, वहीं हम सरकार को सबसे अधिक प्रभावित जिलों में अस्थायी एल-1 अस्पताल खोलने के लिए शहरी क्षेत्र में खुली जगहों का अधिग्रहण करने का निर्देश देते हैं.

पीठ ने आगे कहा था कि एल-1 अस्पतालों में भर्ती मरीजों की सेवा के लिए सरकार तत्काल अनुबंध आधार पर कर्मचारियों की व्यवस्था करे. साथ ही प्रयागराज, लखनऊ, वाराणसी, कानपुर, गोरखपुर जैसे जिलों के एल-2 और एल-3 अस्पतालों एवं सभी जिला अस्पतालों के लिए एंबुलेंस में बाइपैप मशीन और हाई फ्लो कैनुला मास्क की आपूर्ति के लिए तत्काल इनकी खरीद करें.

पीठ ने कहा था कि हमें बताया गया है कि नई कोविड जांच मशीनें (कोबास) जांच किट के अभाव में काम नहीं कर रही हैं. हम राज्य सरकार को 24 घंटे के भीतर मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज, प्रयागराज में कोबास मशीनों के लिए जांच किट उपलब्ध कराने का निर्देश देते हैं.

अदालत ने राज्य सरकार को राज्य में टीकाकरण कार्यक्रम को तेजी से आगे बढ़ाने का निर्देश दिया.

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