IMG-20220125-WA0092

– कृषि भूमि पर पट्टों की आड़ में बेखौफ चल रही प्रतिबंधित मशीनें, माफिया ने रोक दी यमुना की जलधारा
– खनन विभाग की आश्चर्यजनक चुप्पी पर उठ रहे सवाल
कैराना। यमुना खादर में कृषि भूमि की सफाई के नाम पर आवंटित पट्टों की आड़ में रेत माफियाओं की सीनाजोरी किसी से छिपी नहीं है। मवी में तीनों पट्टों पर माफिया बेखौफ प्रतिबंधित मशीनों के जरिए युद्धस्तर पर अवैध रूप से खनन कर रहे हैं। इतना ही नहीं, बहती यमुना नदी की जलधारा तक रोक दी गई है। रातों-रात करोड़पति बनने के सपने संजोए माफियाओं की करतूत से यमुना नदी का अस्तित्व खतरे में पड़ता दिख रहा है और भविष्य में बाढ़ की आशंका बन गई है। बावजूद इसके खनन विभाग की आश्चर्यजनक चुप्पी सवालों के घेरे में हैं।
कैराना तहसील क्षेत्र के गांव में प्रशासन की ओर से कृषि भूमि की सफाई के लिए पट्टे आवंटित किए गए हैं। मानकों के अनुसार, इन पट्टों से केवल फावड़ों से रेत उठाई जा सकती है लेकिन, रेत माफियाओं की करोड़पति बनने की भूख ने तमाम नियम-कायदों को दरकिनार कर दिया है। माफियाओं की सीनाजोरी इस कदर है कि यमुना नदी की जलधारा तक रोक दी गई है। तीनों पट्टों पर बेखौफ माफियाओं की ओर से प्रतिबंधित पॉर्कलेन व जेसीबी मशीनें धड़ल्ले से चलाई जा रही है तथा यमुना नदी में गहरे कुंड बनाते हुए रेत निकाली जा रही है। इन्हीं कुंड के कारण यमुना नदी में हादसे सामने आते रहे हैं। इतना ही नहीं, यमुना नदी में पानी आने पर बहाव भी बदल जाता है, जिस कारण खादर क्षेत्र में खेती करने वाले किसानों को भारी नुकसान का दंश झेलना पड़ता है। माफिया यमुना नदी से प्रतिबंधित मशीनों से अधिक गहराई तक रेत निकालकर ओवरलोड तरीके से डंफरों में दूसरे शहरों के लिए भेज रहे हैं। इससे जहां सड़कों की दुर्दशा हो रही है, वहीं सरकार को भारी राजस्व की हानि भी पहुंचाई जा रही है। प्रशासन व खनन विभाग की अनदेखी के चलते एनजीटी की गाइडलाइन की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है। इतने बड़े पैमाने पर अवैध रूप से चल रहे खनन के खेल से ऐसा प्रतीत होता है कि माफियाओं के आगे न कोई नियम है और ना ही कानून। सरकारी मशीनरी भी खामोश बनी हुई है, जिसके चलते माफियाओं के हौंसले बुलंद हैं और वो यमुना नदी का अस्तित्व मिटाने में जुटे हुए हैं। फिलहाल मवी में तीनों पट्टों की आड़ में अवैध रूप से खनन किए जाने के कारण भविष्य में बाढ़ आने की आशंका भी बनी हुई है।

रात में छलनी करते हैं यमुना की कोख
रेत खनन की अनुमति लेकर माफियाओं ने तमाम नियम-कायदों को ठेंगे पर रख दिया है। सूत्र बताते हैं कि रात के अंधेरे में माफिया तीनों पट्टों पर प्रतिबधित पॉर्कलेन मशीनों को चलाते हैं और यमुना नदी की बहती जलधारा के बीच से रेत निकालकर ऊंचे टीले लगा दिए जाते हैं, जिसके बाद दिन के उजाले में जेसीबी मशीनों से रेत को वाहनों में भरा जाता है। दिन में माफिया पॉर्कलेन मशीनों को पास में ही खेतों में छिपा देते हैं। लेकिन, यदि देखा जाए तो कृषि भूमि पर आवंटित इन पट्टों पर किसी भी प्रकार की मशीनें प्रतिबंधित हैं, इसके बावजूद जिस प्रकार माफिया अवैध रूप से खनन कर रहे हैं, इससे पूरे सिस्टम खासकर खनन विभाग पर सवाल उठ रहे हैं।

पहले आवंटित, फिर निरस्त हुए थे पट्टे
पूर्व में भी मवी में कृषि भूमि की सफाई के नाम पर पट्टे आवंटित होते रहे हैं। वर्ष 2020 में तीन-तीन माह के लिए खनन के पट्टे आवंटित किए गए थे। उस समय माफियाओं ने जलधारा को रोकते हुए बड़े पैमाने पर प्रतिबंधित मशीनों से खनन किया था, जिसकी पोल अपर आयुक्त की टीम की छापेमारी के बाद खुलकर सामने आई थी। इसके बाद आनन-फानन में दो पट्टों को निरस्त कर दिया गया था।

2013 में यमुना ने मचाई थी तबाही
बरसात के दिनों में यमुना नदी उफान पर आ जाती है। वर्ष 2013 में कैराना क्षेत्र के करीब 26 गांवों में यमुना नदी ने तबाही मचाई थी। मवी गांव की बात करें, तो यहां भी बांध टूट गया था और किसानों के साथ ही ग्रामीणों को भारी त्रासदी का सामना करना पड़ा था। उस समय खनन माफियाओं की करतूत ही यमुना की तबाही का कारण माना जा रहा था। एक बार फिर से मवी में रेत माफियाओं की प्रतिबंधित मशीनों का गरजना भविष्य के लिए किसी खतरे से कम नहीं कहा जा सकता है।

आखिर कौन करेगा कार्रवाई ?
दरअसल, रेत माफिया कृषि भूमि की सफाई के नाम पर प्रशासन से आसानी से अनुमति ले लेते हैं। इसके बाद वहां माफियाओं की धींगामुश्ती चलती है और बड़े पैमाने पर अवैध रूप से खनन किया जाता है। पूर्व में इसकी पोल भी खुलकर सामने आई है। कैराना तहसील के गांव बल्हेड़ा में ऐसे ही पट्टे की आड़ में प्रतिबंधित मशीनों से किए जा रहे खनन को ग्रामीणों ने धरना-प्रदर्शन कर बंद कराया था। अब मवी में पट्टों की आड़ में अवैध रूप से युद्धस्तर पर चल रहे खनन को लेकर खनन विभाग की आश्चर्यजनक चुप्पी सवालों के घेरे में हैं। खनन के खेल में खनन इंस्पेक्टर की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। आखिर खनन अधिकारी क्यों खामोश हैं ? क्यों माफियाओं पर कार्यवाही नहीं की जा रही है ?
फोटो नंबर-

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!