कैराना शामली

नगलाराई में नियम कायदों को ताक पर रखकर किया जा रहा यमुना का चीरहरण

कैराना। खनन माफियाओं के लिये शरण स्थली बने खदार क्षेत्र में नियमों का उल्लंघन कर मज़ाक बनाने वाले खनन माफिया रात के समय पूर्व प्लानिंग के साथ युद्ध स्तर पर पॉर्कलेन मशीनों से वैध पट्टों की आड़ में बेखौफ अवैध खनन कर रहे हैं। पीड़ित किसानों ने खनन माफ़ियाओं पर फसलों को बर्बाद कर अवैध खनन करने का आरोप लगाया है।
कैराना तहसील क्षेत्र के गांव नगलाराई में पांच साल के लिए आवंटित वैध बालू खनन पट्टे पर शासन के आदेश और एनजीटी की गाइडलाइन के अनुरूप खदान की अनुमति दी गई है। इसके बावजूद यहां खनन माफिया तमाम नियम-कायदों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। कई-कई पोर्कलेन मशीन व अन्य साजो-सामान से यमुना नदी का सीना छलनी किया जा रहा है। माफिया खनन कर डंफरों में रेत की सप्लाई कर चांदी काट रहे हैं। वहीं रात्री के समय बेखौफ खनन माफिया खनन वाहनों में ओवरलोड रेत भरकर नगर के खुरगान रोड पर रेत को स्टॉक करने में लगे हुए हैं।खनन माफियाओं के हौंसले इतने बुलंद कि वह यमुना नदी की धारा से भी छेड़छाड़ करने से पीछे नहीं हट रहे हैं। यमुना की धारा को प्रभावित करते हुए खनन के काले कारोबार को अंजाम दिया जा रहा है। ऐसे में यमुना नदी के अस्तित्व पर खतरा मंडराता नजर आ रहा है। यही नहीं, खनन माफियाओं के कारनामों के चलते आगामी बरसात के मौसम में तटवर्ती बाशिंदों को गंभीर परिणाम भी भुगतने पड़ सकते हैं। नगलाराई में खनन माफियाओं की करतूत से प्रशासन अनजान बना हुआ है,लेकिन उनका यह कला कारनामा ग्रामीणों एंव किसानों के लिए मुसीबत बनने वाला है। छोटे किसान बर्बादी के मुहाने पर पहुंच चुके हैं।उनकी फरियाद सुनने वाला कोई नही है। खनन माफियाओं द्वारा रेत उठाने के नाम पर खोदे जा रहे कुण्ड मौत को दावत के रहे हैं।
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खनन स्थल पर खुलेआम होता है नियमों का उल्लंघन

नगलाराई खनन प्वाइंट पर नियमों का खुला उल्लंघन देखने को मिल रहा है। खनन माफियाओं को स्थानीय प्रशासन व एनजीटी की गाइडलाइन का ज़रा भी ख्याल नही है। बेखौफ होकर रात्री के समय लगभग आधा दर्जन पॉर्कलेन मशीनों से युद्ध स्तर पर अवैध खनन किया जा रहा है। खनन माफियाओं के इस काले कारनामे से क्या स्थानीय प्रशासन अनजान है? या फिर खनन माफियाओं को किसी बड़े सफेदपोश का संरक्षण प्राप्त है यह तो जांच के बाद ही साफ हो पायेगा,लेकिन इतना ज़रूर है जिस प्रकार से रात्री के समय नियम कानूनों का उल्लंघन कर मज़ाक़ बनाया गया है इससे कई सवाल खड़े होना लाजिमी है। क्या इतना बड़ा साजोसामान लेकर बड़े पैमाने पर खनन माफियाओं द्वारा रात्री में खनन करने की जानकारी स्थानीय प्रशासन के पास नही है? या फिर जानकर भी अनजान बना गया है। यह तो जांच के बाद ही स्पष्ट हो पायेगा।
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प्राइवेट सुरक्षा कर्मियों का रहता है जमावड़ा

नगलाराई खनन स्थल पर रात्री के समय वैध पट्टे की आड़ में अवैध खनन का काला कारोबार युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। सुरक्षा के नाम पर रखे गए प्राइवेट कर्मियों की तैनाती के चलते खनन स्थल पर किसी को भी जाने की अनुमति नही है। यह सुरक्षा कर्मी खनन स्थल की और आने वाले व्यक्तियों पर कड़ी नजर रखते हैं। यहां तक कि मीडिया कर्मियों को भी कवरेज करने या फिर खनन स्थल पर जाने की इजाज़त नही है। क्योंकि अगर मीडिया कर्मी खनन स्थल पर पहुंचे तो अवैध खनन की पोल खुल जाएगी। सुरक्षा कर्मियों का सहारा लेकर ही खनन माफिया रात्री के समय यमुना के सीने को चीर रहे हैं।

पूर्व में लग चुका है जुर्माना
नगलाराई खनन प्वाइंट पर कई बार छापेमारी हो चुकी है, जिसमें मौके पर भारी अनियमितताएं मिली हैं,जिसके बाद खनन संचालक पर लाखों रुपयों का जुर्माना भी ठोका जा चुका है,लेकिन फिर भी अवैध खनन होना प्रशासन पर कई सवाल खड़े करता है।सवाल यह उठता है कि जब प्रशासन द्वारा भारी जुर्माना नगलाराई खनन पर किया गया तो फिर अवैध खनन किसके इशारे पर किया जा रहा। रात के अंधेरे में अवैध खनन कर ओवरलोड वाहनों से रेत के स्टॉक करने की अनुमति किसने दी है। खुलेआम ओवरलोड वाहन खनन स्थल से लेकर स्टॉक तक दौड़ते देखे जा सकते हैं, जिन पर कोई कार्यवाही आजतक न तो पुलिस ने की और न ही परिवहन विभाग के अधिकारियों ने आखिर क्यों? क्या आम आदमी के वाहनों पर ही कार्यवाही अनुमति दी गई है।
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एनजीटी की गाइडलाइन भी बेअसर
नगलाराई खनन स्थल पर खनन माफियाओं के हौसले इस क़दर बुलंद हैं कि वो एनजीटी की गाइडलाइन को भी दरकिनार कर खनन के काले कारोबार को बढ़ाने में लगे हुए हैं। खनन माफियाओं के लिए एनजीटी की गाइडलाइन कोई मायने नही रखती। मौके पर हो रहे खनन को देखकर ऐसा लगता है जैसा कि खनन माफियाओं को किसी का खौफ ही न हो।खुलेआम रात के समय गरजती लगभग आधा दर्जन पॉर्कलेन मशीनें बहुत कुछ बयां कर रही हैं। ऐसा लग रहा है मानो जैसे खनन माफियाओं ने यमुना नदी के अस्तित्व को मिटाने का ठेका ले रखा हो।
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बर्बादी के कगार पर पहुंचे किसान
नगलाराई में पांच वर्ष के लिये आवंटित वैध बालू पट्टे की आड़ में खनन माफियाओं द्वारा अवैध खनन कर छोटे किसानों को बर्बाद कर दिया गया है। दबंगता के बल पर किसानों ने खनन माफियाओं पर अपनी तैयार फसलों को नष्ट करने जैसे गंभीरना आरोप लगाए हैं। किसानों का कहना है कि रात्रि के समय खनन माफिया गुंडो के बल पर उनकी फसलों को तहस नहस कर देता है। अगर पीड़ित किसान आवाज़ उठता है तो उसे तरह तरह की धमकियां दी जाती हैं। नसरुद्दीन नामक किसान का कहना है कि मेरी लगभग ग्यारब बीघा गेहूं की फसल को खनन माफिया ने दबंगता के बल पर उजाड़ दिया है। उसका कहना है कि शिकायत के बाद प्रशासन की टीम ने भूमि की पैमाइश कराकर निशानदही की थी, जिसे खनन माफियाओं ने मानने से साफ इंकार कर दिया है। किसानों का तो यह भी आरोप है कि खनन माफिया उन्हें नोटों की हनक दिखते हैं और इसी बलबूते अवैध कार्य को अंजाम देने की बात कहते हैं। यूनुस, अफ़सरून व तौफ़ीक़ आदि किसानों का कहना है कि उनकी 32 बीघा मुशतरका भूमि पर खड़ी गेहूं व तरबूज़ आदि की तैयार फसलों को रात्रि के समय खनन माफियाओं ने किराये के गुंडों के बल पर बर्बाद कर दिया है। किसानों का कहना है फसलें बर्बाद होने पर उनके सामने रोज़ी रोटी का संकट खड़ा हो गया है और दो वक्त की रोटी के लाले पड़ गए हैं। ऐसे पीड़ित किसान कहाँ जाएं, कौन उनकी फरियाद सुनेगा यह कोई बताने को तैयार नही है। किसानों की शिकायत पर जांच टीम तो मौके पर आती है, मगर कार्यवाही नही हो पाती। आखिर क्यों?
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बाल – बाल बचे तीन मासूम
नगलाराई खनन स्थल पर सेटिंग गेटिंग का खेल तीन मासूमों की जान पर भारी पड़ गया था। एक ही साथ तीन मासूमों की ज़िंदगी खनन माफियाओं द्वारा खोदे गए लगभग बीत फुट गहरे कुंड में समाप्त हो गई थी। गनीमत रही कि वहां से गुज़र रहे किसानों की नज़र कुण्ड में समाती तीन मासूम ज़िन्दगियों पर पड़ गई,जो डूबने के कगार पर थे। आनन फानन में किसानों ने बीस फुट गहरे कुण्ड मेम छलांग लगा दी और तीनों मासूमों को सकुशल बचा लिया। सेटिंग गेटिंग से चल रहे इस अवैध खनन के कारोबार से जहां किसानों को भारी नुकसान है वहीं खोदे गए गहरे कुंडों से सैंकड़ों लोगों की ज़िंदगी भी दांव पर लगी है। अगर मानसून सत्र में यमुना नदी का जल स्तर ज़्यादा बढ़ता है तो यमुना का बहाव विकराल रूप ले सकता है और खनन माफियाओं द्वारा खोदे गए गहरे कुंड यमुना की दिशा को बदलकर तबाही मचाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
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बेलगाम दौड़ रहे ओवरलोडिड वाहन, ज़िम्मेदार कौन?
नगलाराई खनन स्थल पर अनियमितताओं का बोल बाला है जहां नियमों को ताक पर रखकर कानून का मज़ाक बनाया गया है। खुलेआम दिन-रात रेत से भरे ओवरलोडिड वाहन सड़कों पर फर्राटा भर रहे हैं,जिन पर कार्यवाही की हिम्मत कोई अधिकारी नहीं कर रहा है। आखिर ऐसा क्यों ? क्या खनन माफियाओं के इक़बाल के आगे प्रशासन कार्यवाही के लिए हिम्मत नही जुटा पा रहा है। या फिर खादी का संरक्षण खनन मफियाओं के साथ है, जिससे उनका इक़बाल इतना बुलंद हो गया है कि उन्हें क़ानून का ज़रा भी खौफ नही रहा। ओवरलोडिड वाहनों के आवागमन से बांध की हालत भी खस्ता हो गई है। मानसून सत्र से पहले संबंधित अधिकारी बांध को दुरुस्त करा पाएंगे? खनन वाहनों से क्षतिग्रस्त हुए बांध के लिए ज़िम्मेदार कौन है? क्या उस पर ड्रेनेज विभाग या अन्य किसी विभाग की और से कोई कार्यवाही की गई है।

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