भारत के दर्जनों कारोबारी नई दिल्ली से काठमांडू सिर्फ कोरोना वायरस की चीनी वैक्सीन लगवाने के लिए जा रहे हैं. ऐसा मीडिया खबरों में दावा किया गया है. इसके मुताबिक ये कारोबारी काठमांडू आकर सिर्फ इसलिए चीनी वैक्सीन लगवा रहे हैं ताकि वह चीन की यात्रा कर सकें.
चीन ने यह शर्त लगाई है कि उनके देश का वीजा पाने के लिए लोगों को चीनी वैक्सीन लगवाने का सबूत दिखाना होगा. चीन ने अपने यहां कारोबार करने और पढ़ाई करने के इच्छुक लोगों के लिए यह शर्त लगाई है. हालांकि नेपाल के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इन खबरों को खारिज किया है. चीन ने नेपाल को 8 लाख खुराक दान में दी है.
नेपाल ने खारिज किया दावा
नेपाल स्वास्थ्य व जनसंख्या मंत्रालय के सूचना अधिकारी गणेश श्रीवास्तव ने कहा कि इसकी कोई संभावना नहीं है कि नेपाल में भारतीय कारोबारी चीनी वैक्सीन लगवाएं. वैक्सीन लगवाने से पहले उन्हें अपना पहचान पत्र देना होगा. उन्होंने बताया, ‘हम लगातार रिकॉर्ड रख रहे हैं. जिन लोगों ने वैक्सीन लगवाई है, उन सभी के रिकॉर्ड रखे जाते हैं. बिना पहचान पत्र के वैक्सीन लगवाना संभव नहीं है.’ उन्होंने बताया कि इस संबंध में भारत सरकार को स्पष्टीकरण दे दिया गया है.
अस्पतालों में भारतीय कारोबारियों की संख्या बढ़ी
आईएएनएस ने नेपाल सरकार के दो वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया था कि इस हफ्ते काठमांडू के अस्पतालों में भारतीय व्यापारियों और कारोबारियों की संख्या में बढ़ोतरी हो गई है. उन्होंने कहा कि इस बारे में हमने जांच शुरू की. जांच के बाद हमने पाया कि भारतीय कारोबारी फ्लाइट से काठमांडू आए, वैक्सीन ली और वापस चले गए. कुछ भारतीयों ने अपना पहचान पत्र दिखाया, जो चीनी भाषा में था. हालांकि वे हिंदी बोल रहे थे. बाद में पता चला कि वो भारत से सिर्फ वैक्सीन लगवाने आए थे.
30 से ज्यादा भारतीयों ने लगवाई वैक्सीन
आईएएनएस ने तेकू में शुक्रराज ट्रॉपिकल एंन्फेक्शियस डिसीज हॉस्पिटल के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बुधवार को 30 से ज्यादा भारतीय कारोबारियों ने चीनी वैक्सीन लगवाई है. अधिकारी ने बताया कि चीन ने जब से अपने यहां आने के लिए चीनी वैक्सीन को अनिवार्य किया है, तभी से भारतीय कारोबारियों ने बिजनेस के लिए अपना पहचान पत्र सबमिट कराया है. हालांकि अधिकारियों का दावा है कि इस बारे में उन्हें बाद में पता चला कि वे भारतीय हैं. बुधवार को नेपाल में 54 हजार लोगों ने चीनी वैक्सीन लगवाई थी.