
सीएचसी में मरीजों की जान से खिलवाड़
— ओपीडी से डॉक्टर नदारद, बाहरी युवक देखता नजर आया मरीज
कैराना। डॉक्टरों को धरती का भगवान कहा जाता है, लेकिन सीएचसी में सरकारी डॉक्टरों की धींगामुश्ती मरीजों की जान पर भारी पड़ती नजर आ रही है। विभागीय अधिकारियों की उदासीनता, लापरवाही या फिर अनदेखी कहें कि सीएचसी में ओपीडी से डॉक्टर नदारद हो जाए, तो बाहरी युवक मरीजों की जांच करता है। बकायदा दवा भी लिखी जाती है। ऐसे में मरीजों की जान से सीधे तौर पर खिलवाड़ हो रहा है।
सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य विभाग पर सरकार लाखों—करोड़ों रुपये खर्च करती हैं। मकसद यही है कि मरीजों को अस्पतालों में बेहतर चिकित्सा सुविधा मुहैया हो और उन्हें समय रहते उपचार मिल सके। लेकिन, कैराना नगर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर विभागीय अधिकारियों की उदासीनता और डॉक्टरों की लापरवाही किसी से छिपी नहीं है। इन दिनों वायरल बुखार व आई फ्लू के प्रकोप के बीच शुक्रवार की सुबह करीब 11.48 बजे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर मरीजों की लंबी लाइनें नजर आई। बावजूद इसके ओपीडी से डॉक्टर नदारद रहे। इसके बाद विभागीय अधिकारियों की बड़ी लापरवाही देखने को मिली। ओपीडी से डॉक्टर के उठने के बाद बाहरी युवक ने गद्दी संभाल ली और बेरोकटोक मरीजों की जांच की गई तथा उनकी दवाइयां लिखी गई। कुछ देरी के बाद मीडिया के कैमरों की फ्लैश चमकी, तो स्टाफ में हड़कंप मच गया, जिसके बाद ओपीडी से बाहरी युवक को हटा दिया गया। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है जब बाहरी और अनट्रेंड युवक मरीजों का उपचार करेगा, तो कैसे स्वास्थ्य में सुधार होगा। सीधे तौर पर कहें तो यहां मरीजों की जान से खिलवाड़ होता नजर आ रहा है। यदि बाहरी युवक के दवा लिखने से किसी मरीज की जान पर खतरा बन आया, तो उसका जिम्मेदार कौन होगा ?
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पूर्व में लापरवाही पड़ चुकी है भारी
गत 19 मार्च की रात को मोहल्ला आलखुर्द नौगजा पीर निवासी इस्लाम के 11 वर्षीय पुत्र अयान को बुखार की शिकायत के चलते सीएचसी लाया गया था। परिजनों ने आरोप लगाया था कि उपचार नहीं मिलने पर मासूम की मौत हुई। मौत होने के बाद मासूम को रेफर कर दिया गया और एंबुलेंस में लेटाने के बाद अंगूठे लगवाए गए। इस मामले में जांच भी बैठी थी। बाद में एक चिकित्सक के तबादला किए जाने की बात भी सामने आई थी, हालांकि उक्त चिकित्सक की फिर से सीएचसी में ही तैनाती बताई जा रही है।
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अधीक्षक बोले, ऐसा मत करो
सीएचसी के चिकित्साधीक्षक डॉ. शैलेंद्र चौरसिया का कहना है कि युवक प्रशिक्षु फार्मासिस्ट है, लेकिन वह उसका सही नाम नहीं बता सके। हालांकि, उक्त युवक का प्रशिक्षण का समय पूरा होने की बात भी कही जा रही है। आगे अधीक्षक ने कहा कि अरे काहे को लिखोगे भाई, ऐसा मत करो। उन्होंने यह भी कहा कि ओपीडी हजार के करीब पहुंच गई है, हो सकता है कि हेल्प के लिए बैठाया हो। सवाल यह भी उठता है कि फार्मासिस्ट को क्या मरीजों की जांच करने और दवा लिखने का अधिकार है ? खैर, चिकित्साधीक्षक ने कहा कि यदि मरीज को कोई समस्या हुई, तो मैं अपनी जिम्मेदारी से नहीं भाग रहा हूं।